NFU एंड NFFU फोर CAPF

 अब ये लड़ाई AC/DC पर निर्भर है क्योंकि ऊपर हर किसी को कुछ न कुछ मिल गया है। कुछ को सोए सोए मिल गया कुछ को उम्मीद से अधिक मिल गया। केवल जूनियर अधिकारी जिनको ऑपरेशनल ड्यूटी में  रखा है और जिनके पास अपने परिवार के लिए ही समय नही है वो अपने हक की कानूनी लड़ाई कैसे और कब लड़ पाएंगे ये सोचने का विषय है। NFFU/NFSG को भर्ती नियमों से ही सही, टूटे फूटे स्वरूप में ही सही लागू कर दिया गया है तो अब पेटिशनर के पास यह भी कहने का मौका कम ही बचा है कि कुछ दिया नही कोर्ट के आदेश के बाद भी। दूसरा इस केस के लगभग सारे पेटीशनर सेवानिवृत्त हो गए हैं या होने वाले हैं। इसलिए अब यह मुद्दा तभ जब बॉर्डर और नक्सल में तैनात युवा अधिकारी इसको लेकर लड़ेंगे। और लड़ाई का मुद्दा भी सिर्फ NFFU/NFSG को अन्य OGAS के at par लागू करवाना मात्र हो। बाकी पूर्ण स्वराज्य और true OGAS वाले मुद्दे छोड़ ही दिए जाएं तो बेहतर होगा क्योंकि इससे जंग लंबी खींचनी है और कुछ नही। सता कभी डराएगी कि ठीक से काम कर लो और दब के रहो नही तो हम उनको लाकर बिठा देंगे तुम्हारे बराबर या ऊपर और CAPF तो वैसे भी मंजा हुआ कैडर है।हमे तो विशेषज्ञता हासिल है आपस में एक दूसरे की करने में कोशिस में।

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