तानव मुक्त कैसे रहे?

 ____Life is for Peace___

संसार का लक्ष्य ही तनाव मुक्त जीवन है।

क्या  अमरनाथ मे बादल फटा किसी को पसंद आया? नही ना! वही तो बात है, क्या भूकंप गुजरात में आया किसी को पसंद? आया क्या? नही ना ! क्या जापान और दुनिया  में सुनामी आई , क्यों वो पसंद थी, नही ना। तो फिर जीवन में अशांति क्यों लाते हो? 

      ___तनाव मुक्त जीवन केसे जीए___

आज में इस संबंध में राय मशवरा अपने मन का अर्ज करता हूं। सबसे पहले में एक इंसान हू। और इंसान के लिए क्या होना चाइए वो हो। में प्रकृति का हिस्सा हू। कोई अलग अस्तित्व नही रखता हु। चमत्कार और कसीदे कारी से अच्छी बात जीवन को सलाम करना है।

     इसके लिए पहले तो आप को धर्म और आचरण में अंतर समझाना होगा....

क्या खाना है , केसे पहना हे , केसे रहना है, पूजा पाठ आदि को धर्म से न जोड़े, यह केवल आप को व्यवस्थित जीवन देने के लिए है। आप के आवरण के लिए नियम बनाते  है ताकि आप जानकारी की कमी के  कारण तनाव में न आ जाए। गलत न कर दो, जिस से आप को नुकसान न हो । यह सब कोन करता है? यह धर्म करता है। क्यों करता है यह इसलिए करता है "धर्म का लक्ष्य शांति और विकास"है। लोग शांति को छोड़ के अशांति को धर्म से जोड़ते है और धर्म का दुरुपयोग करके ताकत बढ़ाते है और हिंसा का सहारा लेते है।धैर्य और विश्वास जैसे चीजों को त्रिसकृत करते हैं। इससे धर्म की आत्मा खत्म होती है। धर्म का नुकसान होता है। ऐसा ढोंग इंसान करके जीवन में मानव जाति में हिंसा व अपराध से मानव जीवन में तनाव लाता  है और जीवन में यह तनाव आर्थिक स्तर पर भी जहर का काम करता है। लोगो को बीमारियां घेर लेती है, कानूनी पचड़े पकड़ लेते है और जिंदगी भय और हिंसा के साय में आ जाती है। इसलिए धर्म का इस्तेमाल जीवन को खुशनुमा बनाने में करे, जहर की तरह न करें इंसान। क्यों की यह दुधारी तलवार है। इसका यूज दवा रूप में तो ठीक है लेकिन नशा रूप में विनाशकारी है। जो की कतई धर्म की विशेषता नही है। इसलिए धर्मगुरु सब धर्म से मन्नन करें। और धर्म में विकृति न आने दे। 

     यह आज की पीढी की जिम्मेदारी है। धर्म के मूल रूप "शांति और विकास" की और लोटे। धर्म कभी संख्या और ताक़त  बढ़ाने के लिए नहीं बना है। यह तो आप को सुयोग्य और विनम्र बनाने के लिए बना है। अतः धर्म का उद्धार करें। इसकी शोभा बढ़ाई जाए।धर्मो में साथ विकृति ना आए। सबकी शांति के लिए , सब के विकास के लिए,धर्म की मूल भावना और मूल रूप का उपयोग करें। तकनीक के सहारे नही , मन के सहारे बढे। जीवन और जीव को खुश देखना ही एक मात्र धर्म और जीवन का उद्देश्य है। 

जय हिंद जय भारत। विश्व गुरु भारत।


   राजेंद्र कुमार

       रबारी

समाज हित विचार

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