उत्तम विचार

 *समाज में स्त्री शिक्षा का वर्तमान परिदृश्य*


*बालोतरा/विरमदेव देवासी*

वर्तमान दौर में ये बात सर्वमान्य है कि स्त्री को भी उतना शिक्षित होना चाहिए, जितना कि पुरुष हो। ये सिद्ध सत्य है कि यदि माता शिक्षित न होगी तो देश की संतानों का कदापि कल्याण नहीं हो सकता। शिक्षा लड़कियों और महिलाओं को सक्षम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ... शिक्षा महिलाओं को शोषण का विरोध करने का ज्ञान कराती है।


ग्रामीण परिवेश की लड़कियों को अभी तक उच्च शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। समाज उत्थान के लिए महिला शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ग्रामीण परिवेश में लड़कियों की सुरक्षा को अधिक तव्वजो दी जाती है। कई परिवार तो सुरक्षा का बहाना बनाकर ही छात्राओं को उच्च शिक्षा से वंचित कर देते हैं।


सामाजिक स्तर पर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल किए जाने की आवश्यकता है। गांव के सरपंच व प्रबुद्ध लोगों को अपने स्तर पर आगे आकर महिला शिक्षा की पहल करनी चाहिए। मैं मानता हूं कि घर से थोड़ा-सा प्रोत्साहन मिलने से लड़कियां स्वयं ही शिक्षा के लिए आगे आ जाती हैं। बस उन्हें घर से सहयोग मिलने की आवश्यकता है।


वर्तमान समय 21वीं सदी में बाड़मेर जिले में देवासी समाज से 5 प्रतिशत ही बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ी है। हमें यह जानकार बहुत ही अफसोस होता है कि क्या हमारी समाज में नारी शिक्षा का कोई महत्व नहीं है? अगर है तो उनके प्रति जागरूकता क्यों नहीं है? प्राचीन समय में जैसे-तैसे करके भी परिवार चल सकते थे लेकिन वर्तमान समय में शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।

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