पारिवारिक जीवन की एकता

 जब पति और पति के परिवार में उसे हिस्सा दिया जाता है, घर बार देख के हैसियत के मुताबिक शादी की जाती है।तो यह डबल प्रोब्लेम क्यो पैदा किया जा रहा है। यह एक उलझन है। हर स्त्री को पति के साथ प्रॉपर्टी पर हक है। ससुर भी तो समाज के हिसाब से पिता तुल्य होता है। और असली घर ससुराल ही होता है, मरते दम तक। यह  प्रावधान उनके लिए हो जिनके पति न हो,या दिव्यांग हो या जिनको कोई देखभाल का  सहारा नही हो। इस से तो ऐसे होगा कि लोग काम धंधा नही करेंगे। ससुराल वालों की प्रॉपर्टी पर नजर लगा के बैठ जाऐंगे। वो क्या क्या कमा रहे है और लड़की को परेशानी होगी ,क्यो की पति बोलेगे आप पिता से अपना हिस्सा लो,यह कानून आप का हक है। अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के नाम पर कुछ हिम्मत करेंगे।बहन और बेटी ऐसा नही करेगी।। तो उसे और अधिक यातना का जहर पीना पड़ेगा।।

विचार निजी है

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