Samaaj Vikas-Suvichaar

।जय श्री राम सुप्रभात मित्रो मै आज एक ज्वलंत विषय पर मेरे विचार साझा कर रहा हूँ ।
        मृत्यु भोज अभिशाप 
आधुनिक युग में हम सभी  मृत्यु भोज को  भयंकर सामाजिक बुराई अभिशाप मानते हैं इस विषय पर  काफी बहस व चर्चा हो चुकी है  कई  समाज बंधु  व  संस्थाएं  संत महात्मा समाज सुधारक जन जागृति का  काम कर रहे हैं मै इस विषय पर चर्चा कर  लंबा नहीं करना चाहता । प्राय  सभी समाज बन्धु  इस बुराई को बंद करना चाहते हैं  परंतु कोई  हल नहीं निकला है ।
             मेरा स्पष्ट मत है कि सौ तालो की एक ही  चाबी है वो है शिक्षा ।शिक्षा यानी  उच्च शिक्षा  संस्कार के साथ  विधा । समाज जब शिक्षित होगा तब  मृत्यु भोज तो बंद होगा ही  साथ मे अनेक सामाजिक बुराइयों का भी  नाश हो जायेगा ।हम सब मिलकर समाज मे बालक बालिका को समान शिक्षा मिले  समाज  पूर्ण तया शिक्षित बने  मृत्यु भोज अफीम डोडा बीडी तमाकु  बंद हो इसके लिए निम्न कार्य कर सकते हैं  जो हमारे हाथ की बात है इसमें कोई  सामाजिक नियम या  सुधार हेतु  पंचो की  अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है  हमे  स्वयं को आगे आकर  निम्न कदम उठाने चाहिए ।
1 परमात्मा की इच्छा से  हमारे  स्नेही संबंधी रिशतेदारों में मौत होने पर आयोजित शोकसभा में  अवश्य जाए ।सदगत की आत्मा को  भगवान शांति प्रदान करे एसी प्रार्थना करे उनके परिवार को ढाढस बंधाए ।
2 उस शोक सभा में सभी को यथायोग्य अभिवादन करे राम राम  करे व शांत चित्त से बैठ जाए ।
3 शोक सभा के मध्य भाग मे जहाँ अफीम या डोडा को सम्मान दिया जा रहा हो उस स्थान से उचित  दूरी पर  जाकर बैठे ।
4 समाज मे प्रमुख  स्थान पाने की होड मे या महापुरुषों के समान आदर पाने के लालच न रखे ।
5 शोक सभा मे प्रसंग की मर्यादा का पालन करे  अनावश्यक चर्चा न करे  हंसी ठिठोली बिलकुल नही करे ।
6 समाज के  शिक्षित  समझदार व प्रगतिशील  विचारों वाले  बंधुओ को अपने पास  बैठाये या  स्वयं देखकर बैठे ।
7 शोक सभा में पधारे शिक्षित व समान विचारो वाले समाज बंधुओ को  शांत चित्त से मंद स्वर में बात कर मृत्यु भोज के निमित्त बने भोजन को ग्रहण नहीं करने के लिए  प्रेरित करे  हो सके तो  उस आत्मा की शांति के लिए उपवास करने केलिए प्रेरित करे।
7अंत मे  हम स्वयं भी  वो मृत्यु भोज का भोजन नही करे  व  उस गांव मे भी  भोजन नहीं करे हो सके तो उपवास करे ।
8 जब स्वयं के घर पर  एसा  मौका आ जाए  तो ईश्वर की मर्जी मान कर निश्चय कर ले परिवार को भी  समझा कर  तैयार करे कि  हमे  मृत्यु भोज  का आयोजन नहीं करना है  अफीम डोडा बंद रखना है ।केवल  शोक सभा का आयोजन सुबह  आठ बजे से बारह बजे तक (ॠतुअनुसार) करना  है।
 अनेक समाज बंधु  अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करने के लिए भी  इन सामाजिक बुराइयों को  बढावा देते हैं  और  तर्क करते है  अन्न दान  श्रेष्ठ दान है  हम  कमाते किस लिए है  यहां  मृत्यु भोज करने से  पितृ को  पुण्य मिलेगा इत्यादि  तर्क  देते हैं उनके लिए  मेरी सलाह है अनुरोध है कि आप  अपने  स्वजन की  पुण्य स्मृति या  उन्हे पुण्य  प्रापत हो इसके लिए  निम्न कार्य भी  कर सकते हो निश्चित रूप से आपके  पूर्वजों को अन्न दान के साथ साथ  विधादान का भी पुण्य प्रापत होगा व आपको अपनी आर्थिक सता के प्रदर्शन का अवसर भी मिलेगा  आपकी  आत्मा के अहम संतोष करने का भी  अवसर मिलेगा इसके लिए  आप सामर्थ्य अनुसार  निम्न कार्य कर सकते हैं ।
1 आप अपने परिजनो की  स्मृति में विधालय महाविद्यालय आटीआई महाविद्यालय सामर्थ्य के अनुसार बना सकते हैं ।
2 आप छात्रावास बना सकते है ।
3 आप विधालय या छात्रावास में कमरे का निर्माण  करवा सकते हैं 
4 विधालय या छात्रावास में  पुस्तकालय या  वाचनालय का निर्माण करवा सकते हैं ।
5 आप  अपने  परिजनो की स्मृति में  पुस्तकालय मे  पाठ्य पुस्तक  सामान्य ज्ञान की पुस्तकें महापुरुषों के जीवनी संबंधित पुस्तकें भेंट कर सकते हैं ।
6 आप किसी  गरीब  विधार्थी को विधादान हेतु उसके  शिक्षा का खर्च  उठा सकते हैं ।
7 आप किसी भी छात्रावास में  विधार्थियों को  एक वर्ष  एक मास  या  एक दिन का  भोजन करवा कर  अन्न दान कर सकते हैं 
8 आप अपने परिजनो की स्मृति में प्रतिभावान गरीब छात्रो को  छात्रवृत्ति प्रदान कर सकते हैं ।
9आप अपने परिजनो की स्मृति में मे प्रतिभावान छात्र सम्मान समारोह आयोजित कर सकते हैं 
10 आप अपने परिजनो की स्मृति में किसी गरीब समाज बंधु के चिकित्सा व्यय को स्वयं कर आयुष दान कर सकते हैं ।
11 आप अपने परिजनो की स्मृति में किसी गरीब कन्या के  विवाह में  कन्या दान कर  पुण्य प्रापत कर सकते हैं ।
12आप अपने  परिजनो की स्मृति में गौशाला मे  दान कर  गायो को चारा खिला कर  लापसी व गुड खिला कर पुण्य प्रापत कर सकते हैं 
13 आप गायो को  पानी पिला कर भी  पुण्य प्रापत कर सकते हैं 
14 आप अपने परिजनो की स्मृति में आम जनता के पीने के लिए पानी की पयाऊ बनाकर पुण्य कमा सकते है ।उपरोक्त कार्य स्वेच्छिक है अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए जिससे  संपन्न वर्ग के अहम् का संतोष होगा  वही  धनाढय वर्ग को  देखा देखी मे  मृत्यु भोज नहीं करना पडेगा ।मित्रों  आज ईतना ही  अगले अंक में  मेरे स्वयं द्वारा  मृत्यु भोज अफीम डोडा या अन्य सामाजिक बुराइयों को  मिटाने के लिए जो  प्रयास किए  उनका वर्णन करूगा क्योकि  व्यक्ति  उपदेश देने के लिए  तभी योग्य माना जाएगा जब  स्वयं का आचरण भी  उसी अनुरूप  हो  अस्तु भारत माता की जय  जय रबारी समाज जय जेतेशवर जय डोवेशवर जय फुलेशवर जय  पाबुजी महाराज जय  रूपनाथजी महाराज  जय राईका नाथ जी महाराज  जय कल्लाजी महाराज जय मोमाजी महाराज  सर्व देव  रक्षा करे  ब्रहमा विष्णु महेश । 
आपका खेमराज देसाई 
अध्यक्ष 
अखिल भारतीय रबारी रायका
     
समाज सेवा संस्थान रजि

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