*संतुष्ट जीवन*
*सफल जीवन से*
*सदैव श्रेष्ठ होता है*
*क्योंकि*
*सफलता सदैव*
*दूसरों के द्वारा आंकलित होती है*
*जबकि संतुष्टि*
*स्वयं के मन और मस्तिष्क द्वारा*
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