Wed, 31 Oct 2018 09:48:22
सेवा में ,

आदरणीय सा हमारी विरासत ने हमें बहुत मंदिर दिए ..हम उनको आज सभाल तक नहीं पा रहे हे ...वहा आज दिया तक जलाने वाला नहीं हे ...मंदिर खण्डार हो रहे हे ....क्या हमने ये मंदिर इस लिए बनाये थे ....क्या हर जगह मंदिर बनाना जरुरी हे ,जहा पहले ही मंदिर हे ..और उनका जीर्णोदार नहीं हो पा रहा हो ..फिर अलग अलग गली बनते मंदिर तो ,मंदिरो की गरिमा को गिरा रहे हे ..उनके पूजा का तरीका भी बहुत निम्न लेवल का होता हे ..
हमारी एकता को भी ठेस पहुंच रही हे और हमें त्योहारों पे भी हम एक साथ एकत्रित नहीं हो पाते ...क्यों की हमे पास के मंदिर में जाने के नाम पे समाज और धर्म को एकता की शक्ति नहीं दे पा रहे हे ...
फिर मंदिर का भी तो सन्देश यही हे न की "नर ही नारायण हे "..इंसान की सेवा करो ..इसी में ईश्वर खुश हे "...तो फिर ..हम vip pass वाले मंदिर क्यों बनाना चाहते हे ...क्यों भगवान के दर्शन का भी किराया लेना चाहते हे ...
हमें अपने दान पुण्य पे इतना भरोषा हे तो यह सेकड़ो रुपये का पास बनाने वाले मंदिर क्या हे ?..
हमें दर्शन मदिर की दहली के बाहर से कराये जाते हे जैसे भगवान को छुआछूत हो जाये ..और नेता जी या वि आई पि को गर्भ गृह में आरती कराइ जाती हे, ..क्या यह धर्म ट्रस्टों का नियम हे ...?.
क्या इनके मंदिर के लड्डू ही प्रसाद हो सकते हे ..
एक श्रदालु का चढ़ावा नहीं .?..तो फिर सनातन धर्म की रक्षा के लिए तो हमें आज की आबादी की हिसाब से विशाल मूर्ति वाले खुले मंदिर .बनाना चाहिए सब लोग आराम से बिना लाइन के आसान दर्शन कर सके .....आज हमें फिर से मंदिर को रिडिजाइन करना के जरुरत हे
..पुराने मंदिर भव्य और विशाल थे ...आज की जनता की चाह हे वि आई पि कल्चर फ्री मंदिर ,विदिविधान से काम करने वाले भव्य मंदिर होने चाहिए , जिनका दायरा ही कैंपस जैसा हो और वहा पे लोगो के दुःख दर्द लिखे जाए, दुखियो को तसली देने का सिस्टम हो ..व् ..उनके लिए धर्म सन्देश देने वाले प्रांगण हो ...".लोगो का संसार में राजसेवा समाज सेवा, शिक्षा सेवा ..व् .तकनिकी सेवा से कैसे इंसान का जीवन सुन्दर बनाना हे "
...यही मंदिर का सन्देश हे ....मंदिर हमें मंदिर बनाने को नहीं , उसके नियमो को अमल में लाने का सन्देश देना हे ...यह तब ही हो सकती हे जब एक केंद्रीय मंदिर हर शहर में हो ...साथ ही "हज़ार - गुरु हज़ार सन्देश" पे अमल करना मुश्किल हे इस लिए ..हर वर्ष के लिए पुरे समाज का गुरु चुना जाना चाहिए और वही हमारे धर्म का आधिकारिक प्रवक्ता हो ...क्यों की आज जो धर्म का प्रचार स्वयभू हे ,कल वो जेल में हो तो ठीक नहीं लगता ...इसलिए धर्म गुरु पुरे देश और समाज का एक हो .और उसके सन्देश कठोर और कडवे हो ...क्यों की आज अपराध जगत हावी हे ...बेईमानी शिखर पे हे ...और अश्लीलता से पैसा कमाना जोरो पे हे ..मौलिक प्रकृति -जरुरत इंसान की पूरी नहीं हो रही हे ...
लोग Rape ke नाम फासी को चुम रहे हे ,विकृत रिश्तो को क़ानूनी मान्यता हो रहि हे ....इस लिए समाज का धर्माध्यक्ष हर वर्ष चुना जाए और ..हमें मंदिर और धर्म में अंतर समझाए ....अपने आध्यात्म से संसार को चमत्कार दिखाए ...न की राजनीति के लिए रेप कारपेट और मठ का नाम रोशन करने को भंडारे करे ......जगत में इंसान और जीवो के बिच खोये तालमेल को वापस लाये .....जय धर्म ..जय समाज ..जय धर्म गुरु ...
राजेंद्र रबारी कोटा

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