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Subject: matdata khud mudde de nahi ki rajnitik partiye-swasth loktantra
आज हर चीज बदल चुकी हे मगर नहीं बदली तो इस बदकिस्मत मतदाता की सोच . सारे परिवर्तन हुए . इसने भी देखा फिर भी खामोश जेसे इस मतदाता की सोच ही बननि बंद हो गई हो.परमाणु बम बनेगा हा. मिसाइल चलेगी हा .देश आगे भरेगा हा . आप ने हा की . पार्टियों ने कहा देश भी डूबेगा आपने कहा हा फिर आपने क्या अपनी सोच को बदला? नहीं ! आप ने पहले की तरही रहता हुआ तरीका मार दिया. अगली सरकार आप की नहीं बनेगी. देखेगे और आप चल दिए.आप ने क्या किया आप ने क्या कभी इने अपने चुनाव मुद्दों को बदलने के लिए मजबूर किया? आप ने सिरप इनका चुनावी घोषणा -पत्र पढ़ा !कितना अच्चा हे ? ये अच्छा केसे था . आप को पसंद केसे आया ये? क्या इस में गैस -तेल महंगा करने का वादा था? क्या इन्होने कह्य था की हम एसे कानून बनायेगे जो आप को पसंद न हो? फिर क्यों आप इनके चुनावी मुद्दों को वोट देते हो . मुद्दा भी आप ही दो नहीं - तो किसी दिन एसा न हो जाये की ये लोग प्राकुतिक न्याय को ही भूल जाये औरे इनकी रोटिया सिरप पुरुष बनाम महिला वाले एक तर्फे कानून बनाने की आदत का आप हमेशा शिकार रहे तथ अदालतों के चकर न्याय के लिए लगाते रहे लेकिन जज महोदय जी आप के कष्ट को जानते हुए भी आप को न्याय तो क्या राहत भी न दे सके?
दुनिया बदली हे आप भी बदलो अब चुनावी मुद्दा तुम इने दो . इसके आलावा इने कोई विधेयक बनाने की भी इजाजत इने न दो. ये अब कानून के बारे में कम उसमे आरक्षण के अवसर के बारे में ज्यादा चिंतित हे मेरे मतदाता भाईयों !
अब डोर आप के हाथ में हे अगला चुनावी मुद्दा हो तो केवल कानून सुधार औरे केवल कानून सुधार ,महिला और पुरुष को सामान राहत देने वाले कानून,कोई भी दल अपने चुनावी मुधो से इतर कोई नया विधेयक नहीं लावे, अनावश्यक जनता की दिक्कते बराने वाले नियमन वाले कानून न बने. आरक्षण के मुद्दे बंद हो जिस समाज में जो कानून लागु हो वाही लागु करे, क्योकि होता एसा हे की देश की शिक्षित पीरी जब कानून परती हे तो उने हर समाज की जानकारी नहीं होती हे तब वे फील्ड में जाकर सब पर वही धाराएँ लाद देते हे जेसी बुक में हे, जेसे धारा ४९८ ये रेबारी समाज में दहेज़-प्रथा नहीं होने के बजूद एसा हो रहे हे . एसा क्यों की देश में एसी जानकारी का आभाव हे.
अत सब मतदातावो को चाहिए की देश हित में चुनाव के मुद्दे खुद निश्चित करे तथा देश की इन राजनेतिक पार्टियों को एक पाठ परावें.
date : : 23/03/14
rajendra kumar a social activist
आज हर चीज बदल चुकी हे मगर नहीं बदली तो इस बदकिस्मत मतदाता की सोच . सारे परिवर्तन हुए . इसने भी देखा फिर भी खामोश जेसे इस मतदाता की सोच ही बननि बंद हो गई हो.परमाणु बम बनेगा हा. मिसाइल चलेगी हा .देश आगे भरेगा हा . आप ने हा की . पार्टियों ने कहा देश भी डूबेगा आपने कहा हा फिर आपने क्या अपनी सोच को बदला? नहीं ! आप ने पहले की तरही रहता हुआ तरीका मार दिया. अगली सरकार आप की नहीं बनेगी. देखेगे और आप चल दिए.आप ने क्या किया आप ने क्या कभी इने अपने चुनाव मुद्दों को बदलने के लिए मजबूर किया? आप ने सिरप इनका चुनावी घोषणा -पत्र पढ़ा !कितना अच्चा हे ? ये अच्छा केसे था . आप को पसंद केसे आया ये? क्या इस में गैस -तेल महंगा करने का वादा था? क्या इन्होने कह्य था की हम एसे कानून बनायेगे जो आप को पसंद न हो? फिर क्यों आप इनके चुनावी मुद्दों को वोट देते हो . मुद्दा भी आप ही दो नहीं - तो किसी दिन एसा न हो जाये की ये लोग प्राकुतिक न्याय को ही भूल जाये औरे इनकी रोटिया सिरप पुरुष बनाम महिला वाले एक तर्फे कानून बनाने की आदत का आप हमेशा शिकार रहे तथ अदालतों के चकर न्याय के लिए लगाते रहे लेकिन जज महोदय जी आप के कष्ट को जानते हुए भी आप को न्याय तो क्या राहत भी न दे सके?
दुनिया बदली हे आप भी बदलो अब चुनावी मुद्दा तुम इने दो . इसके आलावा इने कोई विधेयक बनाने की भी इजाजत इने न दो. ये अब कानून के बारे में कम उसमे आरक्षण के अवसर के बारे में ज्यादा चिंतित हे मेरे मतदाता भाईयों !
अब डोर आप के हाथ में हे अगला चुनावी मुद्दा हो तो केवल कानून सुधार औरे केवल कानून सुधार ,महिला और पुरुष को सामान राहत देने वाले कानून,कोई भी दल अपने चुनावी मुधो से इतर कोई नया विधेयक नहीं लावे, अनावश्यक जनता की दिक्कते बराने वाले नियमन वाले कानून न बने. आरक्षण के मुद्दे बंद हो जिस समाज में जो कानून लागु हो वाही लागु करे, क्योकि होता एसा हे की देश की शिक्षित पीरी जब कानून परती हे तो उने हर समाज की जानकारी नहीं होती हे तब वे फील्ड में जाकर सब पर वही धाराएँ लाद देते हे जेसी बुक में हे, जेसे धारा ४९८ ये रेबारी समाज में दहेज़-प्रथा नहीं होने के बजूद एसा हो रहे हे . एसा क्यों की देश में एसी जानकारी का आभाव हे.
अत सब मतदातावो को चाहिए की देश हित में चुनाव के मुद्दे खुद निश्चित करे तथा देश की इन राजनेतिक पार्टियों को एक पाठ परावें.
date : : 23/03/14
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